Saturday, July 31, 2010

मैं न जानू की कौन हूँ मैं,


मैं न जानू की कौन हूँ मैं,
लोग कहते है सबसे जुदा हूँ मैं,
मुझे तो प्यार हैं सब से,
पर, पता नही कितने प्यार करते हैं मुझसे,
मुश्किलो में फसने कि आदत मेरी,
बेवज़ह सपने देखने कि आदत मेरी।

मैं तो हूँ ही मनचला,
जो मन किया उसी राह पर चल पड़ा,
आसमान से लगता नही है डर,
मुश्किले आयेगी बहुत मगर,
ज़मीन पर चलना भी नही चाहता,
मैं तो बस सबसे अलग बनना चाहता।

फिर भी पता नही हैं जाना कहाँ हैं,
कुछ रास्ते तो दिख रहे हैं,
पर लक्ष्य लापता हैं,
और अगर यहीं जिन्दगी हैं,
तो वो भी मिलेगी यहीं कहीं,
मैं तो हूँ ही, तेरी तलाश में।

मेरे साथ कुछ कदम चलो तुम ज़रा,
पता नही है मेरे हमसफर का,
काश के ये जवाब हम जान पाते,
तुम्हे अपने दिल कुछ जगह दे पाते,
फिर न रहते हम अकेले,
जो साथ तुम कभी चलते।

जाते जाते समय की रेत पर,
कुछ निशान छोड़ कर जाऊंगा,
दुनिया याद करे ऐसी पहचान ,
बन कर दिखाऊंगा,
मै हर दिल मे, याद बनके ज़िंदा रह जाऊंगा,
मै हर दिल मे, याद बनके ज़िंदा रह जाऊंगा
jnpatel

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