जेसे ही दीन की शुरुआत हुइ मोसम बदल गया...
मोसम बदलतेही दीन की शुरुआत हो गइ...
फुल खिलते ही खुश्बु फेलने लग गइ...
खुश्बु फेलतेही भवरेकी गुंजन शुरु हो गइ...
भवरेकी गुंजन से ही शबनम केहने लग गइ...
रेह गइ सब निशानीया हसी पल बेह गए...
अब तो JN ओर JAAN की सिर्फ बाते रेह गइ....jn
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