Friday, November 12, 2010

दीपावली .................

जीवन की सत्य दीपावली तभी होगी जब "असतो माँ सत गमयम, तमसो माँ
ज्योतिर्गमयम, मृत्यो माँ अमृतं गमयम.." वैयक्तिक जीवन में सार्थक होगा ,

दीपावली का आरम्भ एकादशी से होता हे,

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एकादशी - प्रभु विचार . प्रभु
कार्य और प्रभु सत्ता का सूचक हे!, हमारे जीवन में प्रभु की ही सत्ता होनी
चाहिए, भोग की या लोभ की नहीं, यह बात का सुचन एकादशी करती हे,

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वाग्बारश (वाक् द्वादशी) - वाक्
द्वादशी का उत्सव सरस्वती और विद्या के पूजन का सूचक हे , वाक् का अर्थ
वाणी हे, और वाणी ही सरस्वती का प्रतिक हे, वाक् बारश हमें अवसर प्रदान
करती हे के हमारी वाणी मात्र सत्य ही बोले और वेद विचार का ही निर्घोष करे ,
और हमारे जीवन में सु विद्या का ही प्राधान्य रहे अगर यह संकल्प हम लेते
हे तभी वाक् द्वादशी का उत्सव सार्थक होगा,

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धन तेरस (धन त्रयोदशी )- यह
महालक्ष्मी का पूजन हे , हमारे जीवन में आने वाली लक्ष्मी या संपत्ति केवल
प्रभु कार्यार्थ होनी चाहिए और उसका अपव्यय नहीं होना चाहिए, धन हमें प्रभु
इच्छा से ही मिला हे सो मिले हुए धन में प्रभु का भाग निकलना चाहिए, और
आजीवन सात्विक धन का ही उपार्जन होना चाहिए अगर यह संकल्प हम करते हे तभी
सही अर्थ में लक्ष्मी पूजन का यह उत्सव सार्थक होगा,

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काली चौदश - यह उत्सव शक्ति की
उपासना का हे, हमारे पास जो भी शक्तिया हे वो प्रभु की ही देन हे उसका
उपयोग प्रभु को केंद्र में रख कर करना चाहिए अगर ये बात हम समजे तभी सही
अर्थ में शक्ति पूजन का यह उत्सव सार्थक होगा ...

और अंत में दीपावली..
योग्य विद्या, यशस्वी धन और सात्विक शक्ति की उपासना के बाद अगर यह ३ साधन
हमारे जीवन में अनुरूप रूप से हो तो जीवन के अन्धकार से और दुराचार से विजय
पाने का अवसर हमें दीपावली प्रदान करती हे,

हम दीपावली के दिन दीप को प्रज्वलित करके प्रभु को कहते हे ..

हे प्रभो ! आज के दिन आप ने बनाए हुए सूर्य चन्द्र भले ही अद्रश्य हे
किन्तु हमने ये प्रकाश के प्रतिक रूप में ये दीप प्रज्वलित किया हे जो
अन्धकार पर विजय का उदघोषक हे , इसी तरह हमारा जीवन आप के कार्य में जलता
रहे, हम भी अविद्या रूपी अन्धकार पर विजय पाए, और वेद निष्ठा को जीवन में
सार्थक करे..इसी लिए शक्ति दे!

अंत में यह जिअवन की नै सरुआत एक श्रेष्ट संकल्प के साथ नए वर्ष से करते हे..

हमारे ऋषि ने दी हुए हर उत्सव के पीछे कोई तत्वज्ञान अवश्य हे अगर हम उसे
समाज पाए तो हर भारतीय उत्सव जीवन की एक विशिस्ट संकल्पना प्रदान करता
हे...और कहता हे "

जीवेम शरदः शतं"...

यह दीपावली आप के जीवन में सात्विक आनंद लाए.

शुभम भवतु...

"सर्वं खल्विदं ब्रह्मं.."................jn

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